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________________ प्रतिनिधिमण्डल भोपाल आया, जिसमें धर्मवीर श्री दुर्लभजी भाई झवेरी, श्री हेमचन्द्रजी भाई एंजीनियर तथा रा. ब. लाला ज्वालाप्रसादजी आदि प्रतिष्ठित सजन सम्मिलित थे। चौमासे,के पश्चात् चरितनायकजी का पदार्पण सुजालपुर हुश्रा । वहाँ तीन भाइयों की तथा एक बाई की दीक्षा हुई। फिर विचरते हुए आप प्रतापगढ़ पधारे। प्रतापगढ़ में साध्वी सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ। वहाँ से आपने अजमेर-सम्मेलन में सम्मिलित होने के उद्देश्य से अजमेर की ओर विहार किया । बीच में ब्यावर पधारे और फिर अजमेर में सम्मेलन में सम्मिलित हुए। अजमेर में धूलिया-निवासी श्री हरिऋषिजी की दीक्षा सम्पन्न हुई। वि० सं० १९६० का चातुर्मास सादड़ी (मारवाड़) के श्री संघ की आग्रहपूर्ण प्रार्थना से सादड़ी में हुआ । सादड़ी में मन्दिरमागियों और साधु मागियों में कई वषों से पारस्परिक झगड़ा चल रहा था। भापके शान्तिपूर्ण प्रभावशाली उपदेश से वहाँ शान्ति का प्रसार हुआ । चौमासा समाप्त होने पर महाराजश्री विहार करके जोधपुर झेते हुए जयपुर पधारे । वहाँ प्रधान मुनियों के सम्मेलन में आपने महत्वपूर्ण भाग लिया। तत्पश्चात् लाला ज्वालाप्रसादजी की आग्रहपूर्ण प्रार्थना स्वीकार करके आप महेन्द्रगढ़ (पटियाला) पथारे। वि० सं० १६६१ का चौमासा पूज्य श्री मोतीरामजी म० के साथ महेन्द्रगढ़ में हुा । देहली के ला० गोकुलचन्दजी आदि दर्शनार्थ आये । चौमासा पूर्ण होने पर पूज्यश्री शेष काल में देहली पधारे । फिर जमना पार के क्षेत्रों को फरसते हुए अमृतसर (पंजाब) पधारे । यहाँ पंजाबी पूज्यश्री सोहनलालजी म० के साथ आपका समागम हुआ । वहाँ से जालंधर में पदार्पण हुआ। यहाँ विदुषी महासती श्रीपार्वतीजी विराजमान थीं । जालंधर के अनन्तर आप लुधियाना पधारे । यहाँ उपाध्याय श्रीवात्मारामजी महाराज (श्रमण संघ के वर्तमान आचार्य) के साथ सम्मिलन हुआ । यहां से विहार करके पूज्यश्री पंचकूला, शिमला होते हुए दिल्ली. पधार गये ।
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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