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________________ इस अवसर्पिणीकाल के १२ चक्रवर्ती के नाम प्रामादि का यन्त्र [ ०४४ नाम चक्रवत्ती का नगर के नाम पिता के | माता के नाम चक्रवत्ती का नगर के नाम गति | किस तीर्थक्कर के वक्त स्त्री का नाम आयु प्रमाण नाम | नाम । देहमान भद्रा * जैन-तत्त्व प्रकाश ६५००० वर्ष १ भरत । अयोध्या | ऋषभदेव | सुमङ्गला | सुभद्रा |८४ लक्ष पूर्व २ सगर अयोध्या जयवती | ७२ लक्ष पूर्व ३ मांधक श्रावस्ती विजय भद्रा | सुनन्दा ५ लक्ष वर्ष ४ सनत्कुमार | हस्तिनापुर समुद्र । शिवा रत्ना |३ लक्ष वर्ष ५ शांतिनाथः | हस्तिनापुर विश्वसेन अचिरा विजया | १ लक्ष वर्ष ६ कुन्थुमाथे हस्तिनापुर सुरराय | श्रीदेवी कृष्णश्री ७ अरनाथः र सुदर्शन | देवी ८४००० वर्ष ८ सम्भूम हस्तिनापुर परिमिन्त जाली | पद्मश्री ६०००० वर्ष ६ महापद्म बाणारसी | कीर्तिवर्म ३०००० वर्ष १० हरिषेण कम्पिलपुर महाहरी । मेरा देवी | १०००० वर्ष १९ जयसेण राजग्रही ! पद्म वपरा । लक्ष्मी ३००० वर्ष १२ ब्रह्मदत्त | कम्पिलपुर| ब्रह्म ।चुलणी कुरुमति । ७०० वर्ष | ५८० धनुप | मोक्ष ऋषभदेवजी के ४५० धनुष | मोक्ष अजितनाथजी के ४२ धनुष | मोक्ष धर्मनाथजी के बाद ४. धनुष | मोक्ष धर्मनाथजी के बाद ४० धनुष क्ष शांतिनाथजी खुद ३५ धनुष |मक्ष कुन्थुनाथजी खुद ३० धनुष मोक्ष अरनाथजी खुद ८ धनुष | नरक अरनाथजी के बाद २० धनुष | मोक्ष, मुनिसुव्रतजी के वक्त १५ धनुष | मोक्ष नेमिनाथजी के वक्त ! १२ धनुष | मोक्ष नेमिनाथजी के बाद । ७ धनुष नरक अरिष्टनेमिजी के बाद सूरश्री - - | सुन्दरी सस्त मामा
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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