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नैनशिलालेख-संग्रह
[५४
यक्षिणियोकी है और इनके शिरोभागमें जिनमूर्तियां खुदी हैं। अक्षरोकी लिपि तथा मूर्तिशिल्प ८वी-९वीं सदीके हैं।
[ Medicval Indian Sculpture in the
British Museum P 41-42]
बदनगुप्पे ( मैसूर)
सस्कृत-कसद, शक ३०-मन् ८०८ [ इस ताम्रपत्रके पांच पत्रोमें-से पहले तीन पत्र द्वितीय भागके लेख क्र० १२३ के समान है जिनमें राष्ट्रकूट राजाओका वशवर्णन गोविन्दराज३ तक किया गया है।
चतुर्थ पन : पहली और ५. धारावर्षश्रीवस्तममहाराजाधिराजस्य पुत्र. शौचाचारप्रमुगुण
गणप्रण११ मितसमस्तलोक परोपकारकरुणापरः परमेश्वरचरणारविन्दवन्द| নালিলল - ५३ णावलोकनीकम्मराज. पुषार एडेनाविपये चदनोगुप्पे नाम
ग्राम तलव५४ ननगर अधिषलति विजयस्कन्धावारे । निशदुत्तरेवतीतेपु शक
वपु कार्तिक५५ मास-पौर्णमास्यां रोहिणोनक्षत्रे सोमवारे कोण्डकुन्डेयान्वय
सिमलगे५६ गूहगण कुमारणन्दिमारकस्य शिष्य एडवाचार्यगुरुः तस्य
शिप्यो वधमा५७ नगुरु (0) सर्वप्राणिहितः साक्षात् सिद्धान्तानुगमोदता (1)
शान्त सर्वकल्पोय नयोग