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जनशिलालंग-पग्रह
मुत्तुप्पट्टि (मद्राग)
वलत्तुलिपि, यी मही [(जैनमूर्तिक नीचे - ) यह मृति वैग्नुनादा कुण्डि अट्टउपवागि भटारके गिन्य गुणमेनदवी मिप्य मानकरीपरियटिग-द्वारा बनायी गयी यो।]
[रि० मा० १० १९१० ० ५७ 7०६१]
मुत्तुप्पट्टि ( महास)
वटेलतुलिपि, बी मी [ यह मूति कुण्ठि अष्टोपवामिर शिष्य माघनन्दि-द्वारा बनवायी गयी थी।
[रि० मा० ए० १९१० पृ० ५७ ० ४२]
३३-३८ कोलकडि ( मद्राम)
बलुत्तुलिपि, ध्वी महा [ यहाँ जैन मूर्तियोके समीप निम्न नाम युदे है - कनकनन्दि भटारके शिष्य अभिनन्दन मटारके शिष्य अरिमण्डल भटारसे शिप्य अभिनन्दन मटार (२)। अज्जणन्दिकी माता गुणमतियार | गुणमेनदेवके शिष्य अनत्तवन् मामेनन्का भतीजा आच्चन् यीपालन् । गुणमेनदेव पिण्य कण्डन् पोपट्टन् । वेणुनाडुके तिर कुरण्टिके सेवक कनकनन्दि । गुणमेनदेवके गिण्य अरयगाविदि, पल्लिक प्रमुग्न । ]
[रि० सा० ए० १९१० पृ० ५७ ० ६३-६९]