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जनशिलालेख-संग्रह लिपि सनपूर्व ३री मदीकी है। ये गुहाग श्रमणोंके लिए उत्कीर्ण की गयी थी।]
[रि० मा० ए० १९३७-१८ ० ५३११०५९]
खण्डगिरि (ओरिमा)-(मंचपुरी गुहा-अग्ना भाग)
प्राकृत-ग्रामी, सनपूर्व पहली मढी १ अरहतपमादाय कालिंगा (न) ( मम ) नान लेण गरिनं
राजिनो लालाक (1) २ हथिसाहम-पपोतम ७ (तु ) ना कलिंगच (कवतिनी ग्मिरिया)
रखेलम ३ अगमहिमि (ना) कारि (न)
[अरहतोकी कृपामे कलिंग प्रदेशके श्रमणों के लिए यह गुहा कलिंगचक्रवर्ती सारखेलको महागनीने बनवायी । यह इम्निमाहमर प्रपौत्र लालाककी कन्या थी]
[ए०३० १३ पृ० १५० ]
खण्डगिरि-(भचपुरी गुहा--नीचेका भाग)
प्राकृत-ग्रामी सनपूर्व पहली सही १ सरस महाराजस कलिंगाधिपतिनो महा (मंघ ) बाह ( नम)
कुटेपमिरिनो लेण [कलिंगके अधिपति महागज गर महामेघवाहन कुदेपयीने यह गुहा बनवायी।
[ए० इ० १३ पृ० १६०]