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३३० जैनशिलालेस-संग्रह
[-५०२ सुप्रसिद्ध विद्वान् थे। लेख १८वी सदीकी लिपिम है तथा चन्द्रनाथमन्दिरके मुख्य द्वारके पास खुदा है । मन्दिरके मण्डपकी दीवालपर खुदे एक अन्य लेखमे इन्ही पाचार्यको वीरमघप्रतिष्ठाचार्य यह विशेषण दिया है।
[रि० सा० ए० १९३९-४० ३०, ३०२ पृ० ६५]
५०२ सोदा ( उत्तर कनडा, मैसूर )
शाक १५३०-सन् १६०७, कान पहली ओर १ था (1) स्वस्ति (1) श्रीजयाभ्युदय शालिवाह२ नशकवरुप १५३० नेय कवंगसवत्सर३ ८ कार्तिक शु १० धनारदलि श्रीमद् राय
दूमरी ओर ४ (राजगुस्म) दलाचार्य महावाद५ (वाढीवर रा) यवादिपितामह मकलविद्वज६ (नचक्रवर्ति ब) लालरायजीवरक्षापा
तीसरी थोर । ७ लक दंशिगणाप्रगण्य सगीतपुरसिंहा (सन)
८ पहाचार्य श्रीमदम्लावरुगल ९ श्रीपचगुरुचरणस्मरणयिंद स्वर्गस्थरा
चोथी और १० (द) (1) अवर निषिधिमंटपा मंगल महाश्री (0) ११ महाकलकदेवेन स्याद्वान्यायवादिना(0)
निपि१२ धीमंटपो हन्ध स्थेयादाचंद्रमा (स्क) र (1)