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जनशिलालेस-सग्रह
४६२-४६३ रायबाग (मैसूर)
शक १५१९ = सन् १५९७, सस्कृत-कन
[ ये दो लेख स्थानीय आदिनाथमन्दिरके दो स्तम्भोपर है - एक कन्नड है तथा दूसरा उसीका संस्कृत रूपान्तर है । इसमे ज्येष्ठ व० १४, शक १५१९ के दिन मूलसघ- सेनगणके सोमसेन भट्टारक- द्वारा इस मन्दिरके जीर्णोद्वारका तथा पार्श्वनाथमूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है । ]
[रि० इ० ए० १९५५-५६ क्र० १५२-५३ पृ० ३३]
३३६
[ ४९२
४६४-४६५
मारूरु ( दक्षिण कनडा, मैसूर )
शक १५२० सन् १५६८, कन्नड
[ ये दो लेख है । मारुरुके पार्श्वनाथवसतिमें स्थित तीर्थंकरमूर्तियोको पूजाके लिए पार्श्वदेवो विन्नाणि-द्वारा कुछ भूमि दान दिये जानेका इनमें उल्लेग्न है | पहला लेख चैत्र शु० ३, सोमवार, शक १५२० का है तथा दूमरा लेख पीप शु० २ शुक्र शक १५२० का है । ]
[रि० स० ए० १९३९-४० क्र० ७४-७५ ]
४९६-४६७
करन्दै ( उत्तर अर्काट, मद्रास ) संस्कृत ग्रन्थ, १६वी सदी
[ यह लेस १६वी मदीकी लिपिमें है । पुष्पसेन योगीन्द्रके गुरु समन्तभद्रकी अक्षय कीर्तिका इसमें वर्णन है ।
यहीके एक अन्य लेखमे मुनिभद्रस्वामीका नामोल्लेख किया है । ] [रि० स० ए० १९३९-४० क्र० १३४, १४५ ]