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बेलगामेका लेख
७ यणढण्डनायवर नागरखण्ड जिड्डुलिगेयन्तेर८ डेप्पत्तुमं दुष्टनि (ह) शिष्टप्रनिपालन माडुत्तं
९ सु ( समं ) क्याविनोददिं राज्यं गेय्युत्तमिरे पट्टणन अघि
१० कारि हंग्गडे मिरियण्णं तन्नंनराक्रेिय मूलेवर्तमु
११ न्यवागि हेर्नुकडधिकारि चावुण्डरायनुं मोमय्य
१२ नुं मन्नेय कोप (?) विसरधिकारि मालवेग्गडे इन्तिनि
१३ वरं तम्म सुक्मं येत्तिप्पत्तक्कं सर्वबाधा
१४ परिहारवागि मिरियण्ण आचार्य
१७ पद्मनन्द्रिदेवर कालं कचि धारापूर्वकं मादि कोहर ई धर्म
१६ मं प्रतिपालिमिटंगे चारणामिकुरुक्षेत्रवल्लि माघिर
१७ कविलेयिं वेदपालरन ब्राह्मणगे कोह फल
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१८ मक्कु
[ यह लेख होयनल राजा वीरवल्लालके राज्यवर्ष ९ मिद्धार्थिनवत्सरमें बागाढ शुक्लपक्षमें नंक्रान्तिके दिन लिया गया था । राजवानि वल्लिग्रामेके मल्लिकामोदशान्तिनायदेवको पूजाके लिए पद्मनन्दि आचार्यको कुछ करोका उत्पन्न दान दिये जानेका इसमें निर्देश है । यह दान हेगडे मिरियग्ग, चावुण्डरान, नोमय्य और मालवेग्गडे इन चार अविकारियोने दिना था । इस नमय नागरखण्ड और जिड्डुलिगे प्रदेशपर महाप्रवान नेनापति मल्लियणका शासन चल रहा था । वल्लाल द्वितीय अथवा बल्लाल तृतीय इन दोनोंक ९ वर्षमें मिद्धाय मवत्सर नही था । अतः अनुमान किया गया है कि यह बल्लाल (तृतीय) के २९ वर्षके सिद्धार्थि मंवत्मरक्त उल्लेख होगा । तदनुसार सन् १३१९ यह इस लेखका वर्प होगा । ]
[ए०रि० मं० १९२९ पृ० १२८ ]