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मरमे पाटिक लेख
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मरसे ( मैमूर)
मंस्कृन-कप्तड, १२वी मही १ श्रीमद्दविरमस्मिन् नन्तिसंघस्यरंगला अ. • न्बयों माति योरोपशाम्बवा३ राशिपारग
[ यह लेख एक सेतमे मिली पार्श्वनाथमूतिके पादपोठार है। इसमें द्रविलमघ-नन्दिनपके अन्तर्गत अमंगल अन्वलकी प्रगंमा है। यह श्लोक अन्य कई लेवाम पाया जाता है । लेखकी लिपि १२वी मदीकी है । मूर्तिक वारेमें अन्न कुछ विवरण नही दिया है।]
[ए. रि० मै० १९२९ पृ० १०६ ]
३१२ मावलि ( मैसूर)
कन्नड, १२वी सदी १ श्रीमत्परमगंमीरम्याद्वा(दा)• मोघलाछन जीयात् लोक्य३ नाथस्य शामनं जिनशासनं ॥ श्री (म्)५ रसग कुण्टकुन्दान्वयन ५ काणूरगण माधवचढदेव(रगु)
ट्टि नागब्बे गोकवेय मगलु म(मा)७ घिविधियिंट मुडिपि स्वर्ग८ म्तेयादलु मगल नहा ९ श्री श्री