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जैनशिलालेग्य-संग्रह
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हलेवोड ( मैमूर)
कन्नड, १२वीं मढी १ स्वस्ति श्रीमन्मयकातिसिद्धातचंद्रयनिवर्ग कवडयर जकन्वेयर मादिसि कोट पशालेय शान्तिनायटेवर अष्टविधार्च (न)ग
खडस्फुटितजीर्णोद्धारक २ शिष्यरु सुरमिकुमुदचंद्रापरनामधेयरप्प नेमिचटपटितवरु
जीवगल हिरियकरेय थोलचगह टोलगरेय हुणमेय ३ लगे भूरु गगपुरट उत्तमवागि? मनुरु हलेयं सर्वयाध
परिहारवागि चंद्रातारयरं सत्यतागि कोहरु ई धर्म अवर शिष्यसंतानगल नडेसुवरु [यह लेस १२वी सदीकी लिपिमें है । कवडेयर जकन्वे-द्वारा निर्मित पट्टशालाके शान्तिनाथदेवको पूजा आदिके लिए कुछ भूमि वोलवगट्ट तालावके समीप और गगबुर ग्रामके समीप दान दी गयी ऐमा इसमें निर्देश है। यह दान सुरभिकुमुदचन्द्र अपरनाम नेमिचन्द्र पण्डितदेवने दिया था। जकव्वेके गुरु नयकोति सिद्धान्तचन्द्र थे।]
[ए. रि० ० १९३७ पृ० १८५]
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अथनी (वेलगाव, मैसूर)
कन्नड, १२वीं सदी [ इस लेपमें चम्मण-द्वारा देसिगण-इगलेश्वरवलिके सामन्तण वसदिसे सम्बद्ध रत्नत्रयमन्दिरके जीर्णोद्धारका उल्लेख है। लिपि १२वी सदीकी है।
[रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र. १७३ पृ. ३४]