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जैनशिलालेस- संग्रह
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३७ मादि ॥ क ॥ त्रिभुवनचन्द्र सुनोहरन मिर्वद्रिमि भक्तिचिंद्रे कालगचि जगत्प्रभुवनि येसदि लक्ष्मणविभु
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३८ कोहं हस्तधारेयि शासनम ॥ वृ ॥ पुरढनूर बाटोलगी जिनगेहवे पूज्यमेंढक्करसर कां
३९ के बिदु वियर्सुबलमुचलिदायमा दियांगरटरुवत्त पोन्नरुवण नमकने मादि शासन ।
४० वरंथिसि कोहु धर्मगुणम मेरेट नृपमेरु लक्ष्मण ॥ जिननाथावासमं वासयरिनिभम कष्ट
४१ कालेयदुर्भावनेयिं चांडालत्रोल सुढिमि किढिसे विच्छित्तियागिढुंढें नेहने नष्टोद्वारम शाश्वतमतिशय
४२ माय्तबिन मादि तच्छासनमाचद्रार्कतार निले निलिसिटने धन्यनो लक्ष्मभूप ॥ भरसगं संसयन्ट
४३ रसर काणिकयेन्दु दायधमंद तेरेयेन्द्ररुणदिग्गलमन्दरेत्री ममनक्कि कॉटवर चांडाल६ ॥
४४ स्त्रस्ति समधिगतपश्च महाशब्दमहासामन्त भुजबलोपार्जित - विजयलक्ष्मीकान्त समस्तारिविजय
४५ दक्षदक्षिणदोर्दण्डं फत्तलेकुलरुमलमार्तण्ड मयूरावती पुरवराधीश्वरं ज्वालिनीलब्धवरप्रमाद क
४६ वर्ष जिनधर्म निर्मल मेरेकटियककार नामादिसमस्तप्रशस्तिसहित श्रीमन्महासामन्त ये
४७ बलाधिपति भुजबळकाटरमरु || || जगमेल्लं टेसेगे कयूमुगिगेम कोहरियनोन्दु कागिणियुम
४८ ना गगनदोलिर्पाटित्य यगेदु नित्तपने बेल्वलादित्यन बोलु ॥ इन्तेनिमिद बेल्वलादित्य मचर्ष ९९४ ने