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________________ -१५५ ] गावरवाडका लेस १०५ २६ नल्यातिकोविदरा सूरिंगलारमजर बिमलचन्दर् तत्पादामोजषट् पदर उद्यद्गुणचंदरन्तबर शिप्यर नोडिशास्त्रा२७ थटोलु विदितरु गण्डविमुक्तरिन्नमयनन्याचार्यरार्योत्तमरु ॥ वृ॥ पोले चोल नेलेंगेट तन्न कुल२८ धर्माचारमं बिटु बेलवलदेशकडियिह देवगृहसंदोहगलं ___ सुटु कय्यले पापं बेलेडेत२९ नल्के धुरदोलु त्रैलोक्यमल्लगे पदलेयं कोरसुवं विसुङ निज वंशोच्छित्तियं माढिद || श्रीपेर्मा३० नडि माडिसिदी परमजिनालयंगल पोलेवहिर्दा पाण्ढयचोल व महापातकतिवुलनलिनधोगतिगिलि३. द ॥ ॥ बलिकी बेलवलदेशमं पडेददंदाधीशसामन्तमंडलिकर धर्मद वगेटु नडेयुत्तिर्दल्लि तज्ज्ञ मनं३२ गोले कालीयगुणेतर कृतयुगाचारान्वितं लक्ष्ममंडलिकं निर्मल धर्मवत्तलेय नष्टोद्धारमं माडि३३ टई नेलदोल नेगरतेय पोगलेय वाल्तेय पुण्यतीर्थ मन्वानदोलिन्नविल्लेनिसि संदुदु दक्षिणगंगे तुंगम३४ दानदि तन्नटीतटटोलोप्पुत्र कक्करगोण्डमेंबधिष्ठानढोलुबराधिपति चक्रधर नेलसिर्ट वीडिनोलु ॥ ३५ वृ ॥ शककाल गुणलब्धिरंध्रगणनाविल्यातमागल विरोधकृदन्द बरे चैत्रमागे विपुवस्सक्रान्तियोलु पु. ३६ प्यतारके पूर्णागिरमागे चक्रधरदत्तादेशदि देशपालकचूडामणि धर्मवत्तलेयनत्युत्साहिदि
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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