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मथुराके लेख
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मथुरा - प्राकृत भन्न ।
[ विना कालनिर्देशका ]
अ. तिथे निर्वर्तना
व. १. तो गखतो शिरिकनो सभोकतो अ
३.
२. धराये निवतना शिवद [ त]
नस्य मतु ह [स्त ]........
[El, II, a’ XIV, n 351
[ नोट- निर्वर्तना' और 'निवतना' इन दो शब्दों के एक ही शिलालेख में आ जानेसे एक ही गिलालेख के दो खण्ड माटम पड़ते है और वे सम्बद्ध अर्थ - को व्यक्त नहीं करते है | ]
८६
मथुरा -- प्राकृत । ( विना कालनिर्देशका)
१.............ये मोगलिपुतस पुफक्स भवाये
५३
२.
असाये पसाटो
अनुवाद - किसी मोगली ( माँ माइली विशेष ) के पुत्र, पुफक (पुष्पक) की पती असा ( अश्वा १ ) का दान |
[14, XXXIII, p 151, n' 28 ]
८७
राजगिरि - संस्कृत |
[
1
T. Bloch के आकओलोजिकल सर्वे, बङ्गाल सर्किल, वार्षिक रिपोर्ट १९०२, पृ० १६, विश्लेषणमें इस शिलालेखका उल्लेख है । मूलका पता नही है ।
[AS, Bengal circle, Annual report 1902, p. 16. a ]