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जैन - शिलालेख संग्रह
कम बायकस सिसिनिए सादिताए नि
अनुवाद - भगवान् वृषभ ( उसभ ) को नमस्कार हो । वारण गण, ..के वाचक ढुककी शिष्या मादिताके
नाडिक कुल तथा..... आदेश से "
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मथुरा - प्राकृत | [ विना कालनिर्देशका ]
स्थ [i]निकिये कुले गनिस्य उग्गहिनिय शिषो वाचको घोषको
आहतो पर्श्वस्य प्रतिमा
अनुवाद -- "स्था निकिय (कीय) कुलके गणि ( गणिन् ) उग्गहिनिके शिष्य वाचक घोषकने एक अर्हत् पार्श्वकी प्रतिमा..
[ EI, II, n° XIV, n° 29]
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८४.
मथुरा - प्राकृत - भग्न्न ।
[ विना कालनिर्देशका ]
अ. वर्धमानपटिमा वजरनद्यस्य धिता वाधिशिव
१. - - स्य- कुटीविनि दिनाये दाति चडिम [ शि] ये
२
[ EI, II, n° XIV, n° 28]
८३
की बहू, f
प्रतिमा
806
अनुवाद - "वजनद्य (वज्रनन्दिन) की पुत्री, वाधिशिव ( वृद्धिशिव ? ) की पती दिना ( दत्ता ) के दानके रूपसे एक वर्धमानकी बडिमशिके..
[El, II, n° XIV, n° 33]
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