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जैन-शिलालेख संग्रह गौतम गणधररागे तत्-सनातनदोळनेकरतिक्रान्तरागे कलियुग-गणधरर् दयापाळ देवरादरवरिं वळिक पट्-तर्क पण्मुखापर-नामधेय जगदेकमहल-वादिराज-देवरवरि ओडेय-देवरवार श्रेयान्स-पण्डितरवार वळिक ॥ क॥ दूरीकृत-दुरघ निर्- 1
हारित-मदन स्व-तर्क-विद्या-वळ-सम् ।। हारित-पर-समय वाक्-1 श्री-रमणी-रमणनजितसेन-मुनीन्द्र ॥ प्रद्युम्न-मद-विदारणन्-। उद्यद्गुण रत्न-बार्द्धिनगळ्द पेरदेन् । अद्यतन-गणधरं निर-1
वद्य श्रीमत् कुमारसेन-ब्रतिप॥ तार्किक-चक्रवर्तियु वादीभ-पञ्चाननमेनिसिद श्रीमदजितसेन पण्डिदेतवर गुड्ड ॥ क ॥ नृप-विद्याम्बुवि-पारगन् ।
अपरिमित-त्याग-गुणनराति-मुखेन्दु-। ग्लपन-रहा-राहु रिपु-। द्विप-सिंह शान्तरान्वयाम्बर-चन्द्र ॥ चागददगुन्ति याचकर-1 आगिसिदुदु पलवरर्सर वीरददोन्न् । ओगडिसटेन्गे वनचरर । आगिसिद्धटु पलवरहितर तेलुगन ॥ अवननुज निज-निति-।