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हुम्मचका लेख
২SC मूकियर-कावण्णको ७ मत्तर; कन्तियर-नाकय्यको ४ मत्तर और ६०० 'कम्म' (पं ३९), और 'सर्वनमस्य-दानके रूपमें श्रीमद्भुवनैकमल शान्तिनाथदेवको २० मत्तर (पं. १०) दिये । भुवनैकमल शान्तिनाथदेव नामका मन्दिर 'भुवनैकमल्ल' विरुदवाले पश्चिमी चालुक्य राजा सोमेश्वर द्वितीयने बनवाया था या उसमें शान्तिनाथकी प्रतिमा प्रतिष्ठित कराई थी।]
[ इ० ए०, १८, पृ० ३५-४०, नं० १७३ ]
२११ मथुरा-संस्कृत
सं० ११३४१०७७ ई० [पद्मासनस्थ तीर्थकरकी विशाल मूर्तिका लेख ] [इस मूर्तिका लेख साफ-साफपढने में नहीं आता। कुछ भाग पढा जाता है, कुछ नहीं । परन्तु लेख सिर्फ दो पक्तियोका है। इस मूर्तिका लेख सिर्फ कालकी दृष्टिसे ध्यान देने योग्य है । डा०, फूहरर् (Dr, Fuhrer ) के मतसे यह लेख बताता है कि इस मूर्तिका निर्माण मथुराके श्वेताम्बर सम्प्रदायकी तरफ़से हुआ था । शेष लेख न० १६१ के अनुसार जानना।] [ Antiquities of Mathura, (ASI, XX), p 53, + ]
२१२ .
हुम्मच-कन्नड [विना काल-निर्देशका, पर लगभग १०७७ ई० का]
[हुम्मचमे, सूळे वस्तिके सामनेके मानस्तम्भपर ] (पश्चिम मुख ) श्री-चीर-सान्तरन पिरिय-मगं तैलह-देवं भुजबळशान्तरनेन्दु पट्टमं कटिसि कोण्डु पट्टण-स्वामि माडिसिद तीर्थदवसदिगे वीजकन-बयलं विट्टन् (वे ही शापात्मक वाक्यावयव) स्वस्ति समधिगत-पञ्च-महा-कल्याणाष्ट-महाप्रातिहार्य-चतुस्त्रिंशदतिशय
1 "Progress Report" for 1890-91, p 16