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अडका लेख
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वीर-शान्तरकी पत्नी चागल- देवी थी । उसकी प्रशसामें बहुत से लोक दिये हैं । अपने पति वीर-शान्तरके कुल देवतारूप नोकियव्येकी बसदिके सामने उसने 'मकर-तोरण' बनवाया था और बल्लिगावेमे चागेश्वर नामका मन्दिर बनवाया था और बहुत-से ब्राह्मणोको कुमारिकायें भेटकर उसने 'महादान' पूर्ण किया था, तथा प्रशंसको और आश्रितोंकी भीडको यथेच्छक दान देकर अपनेको दानी प्रसिद्ध किया था । ( तथा ) चागल- देवी की माँ अरसिकी भी बहुत प्रसिद्धि हुई । ( और ) शान्तरके घरका 'सर्व-प्रधानं' ब्रह्माधिराज कालिदास विख्यात हुआ था ।
लोक्किय बसदिके लिये, देकररसने जम्बहळ्ळि प्रदान की, इसका दान माधवसेन -देवको किया था । ]
[ EC, VIII, Nagar, tl, n° 47 ] १९९
श्रवणबेलगोला, संस्कृत - भग्न [सं० १११९=१०६२ ई० ]
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( जैन शि० ले० सं०, भा० १ )
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अगडि - कन्नड - भग्न [ शक ९८४ = १०६२ ई० ]
[ अगाडि ( गोणीवीड परगना ) मे, ७ वें पापाणपर ]
'विनयादित्य.
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• पोयसळ...
गुरुगळ
सक-कालं गति-नाग- रन्ध्र-शुभकृत् संवत्सरापाढदोळ् । सुकर पौर्णमि-भौमवार मोसेदिकदा श्रावण "
कन्दि बरे शान्तिदेवरम सन्यासन गेय्दु भक्- । ति करं कैवशमागे गेय्दु पडेदर निर्वाण साम्राज्यमम् ॥
भट्टार