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कुम्सीका लेख
१८९. ......"विणेन्द्र...... ... ... . तुङ्गाद्रिय ।
दोरेय ......... ...." भक्ति-मनहिं पुम्बुच्चुमिपन्नेगम् । ... . ' लोकियव्वेय जिन-गेहम माडिदम् ।
धरेयेल्ल पोगळवन्नेग वि ... 'अवनीपाळकम् ॥ जिनदत्त-रायं श्रीमन्महा . . . . धिपति-बोम्मरस-गौडर मक्लु " ... ति-दत्त तन्न अनुज मानिभद्र-गौडर मकल रायविभाड राज" रेवन्त नडे-गौड सुरितण्ण हिरिय-तम्मगौडरु मुख्यवाद आतन अनुज पद्मयनु आनन तम्म चिक-तम्म-गौडरु आतन अनुज होन्नणगौडरु धर्म-आसनव साधारण संवत्सरद कार्तिक सुद्द-पुन्नमि-सो." ........... सेटि सोक्कि-सेट्टि पदुम-सेष्टि .... बाद आदिव्य-स्थानके".... ... सन्दायवेन्दु · देरिगे येन्दु विट्टि येन्दु केळसल्लदु ईधर्मव नडसिटवरिगे स्वर्गपदव पडेवरु ईधर्मक्के तप्पिदवरु एळनेय नरकके होहरु जिन-रभिपेक-निमित्त । घन-पूर्ण कुम्बकेन्दु कुम्बसे-पुरमम् । जिनदत्त-रायनित्त । कनक कुलोद्भवरु कलसराजान्वयरुम् ।। सन्नकोप्पद बस्तियिन्द बडगलु वेटल कोप्यद करे । कल्लू सरहु सह विट्टर ' " वीजवरि कोहरु प्रतिपालिसुबदुः
[जिनशासनकी प्रशसा । ......... पोललु और कुम्वसिबेमे, पोम्बुच्च जबतक जिन्दा रहे तबतक उन्होने जिनमन्दिर बनवाये, जिनमन्दिरमे लोक्कि यव्येकी स्थापना की । और जिनदत्त-राय [की स्वीकृतिसे], शासक मोम्मरस और अनेक गौडोने (जिनके नाम दिये हैं),- तथा कुछ सेट्टि लोगोंने उक्त मितिको इसके लिये वार्पिक दान दिया । शापात्मक श्लोक ।
जिनदत्तराय, जिसने जिनके अभिपेकके लिये कुम्बसे-पुरका दान किया था, कलस राजाओके खानदानके कनककुल मे उत्पन्न हुआ था। उसने कुछजमीन भी दी थी।]
[EC VII, Shimoga t, u° 114 ]