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________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह | ८५ चंदन घसों कपूर मिलाय, पूजं श्रीजिनवरके पांय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो || दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद पाय, परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ २ ॥ ह्रीं दर्शन विशुद्ध्यादिपोडशकारग्भ्यः चंदनं । तन्दुल धवल अखंड अनूप, पूजं जिनवर तिहुं जगभूप । परमगुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद पाय, परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ ३॥ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिपोडशकाराभ्यां अक्षतं नि० फूल सुगन्ध मधुप गुंजार, पूजूं जिनवर जग आधार । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो | दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद पाय, परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ ४ ॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिपोडशकार भ्यः पुष्पं० सद नेवज बहु विधि पकवान, पूजूं श्रीजिनवर गुणखान | परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थकर पद पाय, परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ ५ ॥ ह्रीं दर्शन विशुद्ध्यादिपोडशकारभ्यां नवां
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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