________________
श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
भाषा स्तुति ।
तुम तरणतारण भवनिवारण, भविकमन श्रानन्दनो । श्रीनाभिनन्दन जगतवंदन, आदिनाथ निरंजनो || १ || तुम आदिनाथ अनादि सेऊँ सेय पदपूजा करू । कैलाश गिरिपर ऋषभजिनवर, पदकमल हिरदै धरू ॥२॥ तुम अजितनाथ अजीत जीते, अष्टकर्म महावली । यह विरद सुनकर शरण आयो, कृपा कीज्यो नाथजी ॥३॥ तुम चंद्रवदन सु चंद्रलच्छन चंद्रपुरि परमेश्वरो । महासेननंदन, जगतवंदन चंद्रनाथ जिनेश्वरो ||४|| तुम शांति पांचकल्याण पूजों, शुद्धमनवचकाय जू । दुर्भिक्ष चौरी पापनाशन, विघन जाय पलाय जू ||५|| तुम बालब्रह्म विवेकसागर, भव्यकमल विकाशनो । श्री नेमिनाथ पवित्र दिनकर, पापतिमिर विनाशनो || ६ || जिन तजी राजुल राजकन्या, कामसेन्या वश करी । चारित्ररथ चढ़ि भये दूलह, जाय शिवरमणी वरी ||७|| कंदर्प दर्प सुसर्पलच्छन, कमठ शठ निर्मद कियो । अश्वसेननंदन जगतवंदन सकलसंघ मंगल कियो ||८|| जिनधरी बालकपणे दीक्षा, कमठमानविदारक । श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्र के पद, मैं नमों शिरधारकै ॥९॥
जह