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________________ SE श्री जन पूजा-पाठ संग्रह (परिपुष्पांजलि क्षेपण) यहां पर नौ बार णमोकार मंत्र जपना चाहिये । भजन । नाथ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरेयों निश्चय व आयो । टेक।। मेंढक कमल पांखड़ी मुखमें, वीर जिनेश्वर धायो, श्रेणिक गजके पगतल मूवो तुरत स्वर्गपद पायो । नाथ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरेयों निश्चय अब आयो ॥ १ ॥ मैना सुन्दरि शुभमन सेती, सिद्धचक्र गुण गायो, अपने पतिको कोढ़ गमायो, गंधोदक फल पायो । नाथ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरेयों निश्चय च आयो || २ || अष्टापदमें भरत नरेश्वर, आदिनाथ मन लायो, अष्टद्रव्य से पूजा कीनी अवधिज्ञान दरशायो 1 नाथ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरेयों निश्चय व आयो ॥३॥ अंजनसे सब पापो तारे, मेरो मन हुलसायो, महिमा मोटी नाथ तुमारी, मुक्तिपुरी सुख पायो । नाथ ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरे यों निश्चय अब आयो ॥४॥ थकि थकि हारे सुरपति, नरपति आगम सीख जतायो, देवेंद्रकीर्ति गुरु ज्ञान मनोहर, पूजा ज्ञान बतायो । नाथ! तोरी पूजाको फल पायो, मेरे यों निश्चय अब आयो ॥५॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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