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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह बोलू प्यारे वचन हितके,
आप का रूप ध्याऊं । तौलों सेऊ चरण जिनके, मोन जौ लौ न पाऊं ॥६॥
प्राय्या
तब पद मेरे हियमें, मम हिय तेरे पुनीत चरणों में। तबलौं लीन रहो प्रभु, जबलौं पाया न मुनि पद मैंने ॥१०॥ अक्षर पद मात्रा से, दूषित जो कछु कहा गया मुझ से । क्षमा करो प्रभु सो सब, करुणा करि पुनि छुड़ाहु भवदुःखसे॥११॥ हे जगबन्धु जिनेश्वर, पाऊं तव चरण चरण बलिहारी । मरण-समाधि सुदुर्लभ, कर्मों का क्षय सुवोध सुखकारी ॥१२॥