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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह मुनि प्रायिकानां श्रावकश्राविकानां क्षुल्लकक्षुल्लिकानां सकल कम क्षयार्थ ( जलधारा) अनर्घपदप्राप्तये महाघ सम्पूर्णाघ निर्वपामीति स्वाहा । भावपूजावंदनास्तवसमतं श्रीपंचमहागुम्भक्तिकायोत्सर्ग करोम्यहम्। यहां पर कायोत्सर्ग पूर्वक नौ बार णमोकारकार मंत्र जपना चाहिये।
शांतिपाठ भाषा शांतिपाठ बोलते समय पुष्प क्षपण करते रहना चाहिये ।
चौपाई १६ मात्रा। शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शीलगुणवत-संयमधारी। लखन एक सौ आठ विराजें, निरखत नयन कमलदल लाजै ॥१॥ पंचम चक्रवर्ति पदधारी, सोलम तीर्थंकर सुखकारी । इन्द्र नरेन्द्र पूज्य निज नायक, नमो शांतिहित शान्नि विधायक ॥२॥