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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
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यो मन हरख्यो प्रभू थांकी पूजा जी रे कारणे ॥८॥ प्रभूजी अष्ट दरव जुल्याओ बनाय, पूजा रचाऊं श्रीभगवान की ॥९॥
श्रीं ह्रीं भावपूजा भावबंदना त्रिकालपूजा त्रिकालबंदना करे करावे भावना भावे श्रीश्ररहंतजी सिद्धजी आचार्यजी उपाध्यायजी सर्वसाधुजी पंचपरमेष्ठिभ्यो नमः । प्रथमानुयोगकररणानुयोगचरणानुयोगद्रव्यानुयोगेभ्यो नमः । दर्शन विशुद्धयादिपोडशकारणेभ्यो नमः । उत्तम क्षमादि दश लाक्षणिक धर्मेभ्यो नमः । सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यक चारित्रेभ्यो नमः । जलके विषै थल के विषै श्राकाशके विषै गुफाके विषै पहाड़ के विषै नगर नगरी विषै ऊर्ध्वलोक मध्यलोक पाताललोक विषै विराजमान कृत्रिम अकृत्रिम जिन चैत्यालय जिनबिम्बेभ्यो नमः | विदेहक्षेत्रे विद्यमान बीस तीर्थङ्करेभ्यो नमः | पांच भरत पांचऐरावत देशक्षेत्र सम्बन्धी तीस चौबीसीके सातसौ बीस जिनराजेभ्यो नमः । नंदीश्वर द्वीपसम्बन्धि बावन जिन चैत्यालयेभ्यो नमः । पंचमेरु सम्बन्धि अस्सी जिन चंत्यालयेभ्यो नमः । सम्मेद शिखर कैलाश चंपापुर पावापुर गिरनार आदि सिद्धक्षेत्रेभ्यो नमः । जैनबद्री मूलबद्री राजगृही शत्रुंजय तारंगा चमत्कार महावीर स्वामी आदि अतिशयक्षेत्रेभ्यो नमः | श्री चारण ऋद्धिधारी सप्त परमर्षिभ्यो नमः । श्रीं ह्रीं श्रीमंत भगवन्तं कृपालसन्तं श्रीवृषभादि महावीर पर्यन्त चतुर्विंशति तीर्थंकर परमदेवं श्रद्यानां आये जम्बू द्वीपे भरतक्षेत्रे आर्यखण्डे.. नाम्नि नगरे मासानामुत्तमे मासे
पक्षे शुभ
तिथौ वासरे
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• मासे शुभे
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