________________
भी जैन पूजापाठ संग्रह। ओं ह्रीं श्रीवृषभादिवारांतेभ्योऽक्षयपदप्राप्तये अक्षतान नि० वरकंज कदंव कुरंड सुमन सुगंध भरे । जिन अग्र धरों गुनमंड, कामकलंक हरे ॥ चौबीसों श्रीजिनचंद, आनंदकंद सही। पद जजत हरत भवफंद, पावत मोनमही॥५॥ ओं ह्रीं श्रीबृपभादिवारांतभ्या कामवाणविध्वंसनाय पुष्पं नि० मनमोहन मोदक आदि, सुंदर सद्य बने । रसपरित प्रासुक स्वाद, जजत क्षुधादि हने ॥ चौबीसों श्रीजिनचंद, आनन्दकन्द सही। पद जजत हरत भवफन्द, पावत मोक्षमही ॥६॥ ओं ह्रीं श्रीपभादिवागतभ्यः सुधागंगविनाशनाय नवेद्यं निक तमखंडन दीप जगाय, धारों तुम आगें। सब तिमिरमोह नयजाय, ज्ञानकला जागै॥ चौबीसों श्रीजिनचन्द, आनन्द कन्द सही। पद जजत हरत भवफन्द, पावत मोक्षमही ॥७॥ ओं ह्रीं श्रीवृषभादिवीरांतभ्यो मोहांधकारविनाशनाय दीपं नि.