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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
महा सुख होय, देखे नाथ परम सुख होय ॥ पांचों मेरु सी जिन धाम,
सव प्रतिमाको करों प्रणाम ।
महा सुख होय.
देखे नाथ परम सुख होय ॥ २ ॥
ह्रीं पंचमेसंबंध अस्सी जिनचैत्यालयस्थजिनविस्त्रेभ्यो अनिर्वपामीति स्वाहा ||२||
नंदीवर द्वीपका
यह अरघ कियो निज हेत तुमको अरपत हों, द्यानत कीनों शिव खेत भूमि समरपतु हों ॥ नंदीश्वर श्रीजिनधाम वावन पुंज करें । वसु दिन प्रतिमा अभिराम आनंद भाव घरों ॥ ३ ॥
ह्रीं नंदीवर द्वीपे पूर्वपश्चिमोत्तरदक्षिगं द्विपंचाशज्जिनालयम्थजिनप्रतिमाभ्यां अनपदा अध्य निर्वपामीति
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दशलक्षण धर्मका अघ
आठों द्रव्य संवार, द्यानत अधिक उछाह सों ।
भवताप निवार, दशलक्षण पूजों सदा ॥ ४ ॥