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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
विकार-विवर्जित तर्जितशोक । विवोधसुनेत्रविलोकितलोक ॥ विहार विराव विरंग विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥५॥ रजोमलखेदविमुक विगात्र । निरंतर नित्य सुग्वामृतपात्र ॥ सुदर्शनराजित नाथ विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥६॥ नरामरवंदित निर्मल भाव । अनंत मुनीश्वरपूज्य विहाव ॥ सदोदय विश्वमहेश विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥७॥ विदंभ वितृष्ण विदोष विनिद्र । परापर शंकर सार वितंद्र ॥ विकोप विरूप विशंक विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥८॥