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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
अथ जयमाला। विराग सनातन शांत निरंश । निरामय निर्भय निर्मल हंस ॥ सुधाम विवोधनिधान विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धममूह ॥१॥ विदूरित-संमृतिभाव निरंग । समामृतपूरित देव विसंग ॥ अबंध कषाय-विहीन विमोह । प्रसीद विशुद्धसुसिद्धसमूह ॥२॥ निवारितदुष्कृतकर्मविपाश । सदामल केवलकेलिनिवास ॥ भवोदधिपारग शान्त विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥३॥ अनंतसुखामृतसागर धीर । कलङ्करजोमलभूरिसमीर ॥ विखंडितकाम विराम विमोह । प्रसीद विशुद्ध सुसिद्धसमूह ॥४॥