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________________ १८. श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह दोहातुम भवदधितै तरि गये, भये निकल अविकार तारतम्य इस भक्निको, हमें उतारो पार ॥१०॥ ॥ इति हरजसराय कृत अभिषेक पाठ ।। नित्य नियम पूजा पूजन प्रारम्भ करने के समय नौ बार णमोकार मन्त्र पढ़कर नीचे लिखा विनय पाठ बोल कर पूजा प्रारम्भ करना चाहिये । विनयपाठ दोहावाली इह विधि ठाडो होयके, प्रथम पढ़े जो पाठ । धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशो कर्मजु आठ ॥१॥ अनंत चतुष्टयके धनी, तुमही हो सिरताज । मुनिवधूके कंथ तुम, तीन भुवन के राज ॥२॥ तिहुं जगकी पीड़ाहरन, भवदधि शोषणहार । ज्ञायक हो तुम विश्वके शिवसुखके करतार ॥३॥ हरता अघअंधियारके, करता धर्मप्रकाश । थिरतापद दातार हो, धरता निजगुण रास ॥४॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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