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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
जे भवि ग्रातमकाज-करण उद्यम के धारी, ते मब काज विहाय कगे मामायिक मारी । गग गेप मदमोहक्रोध लोभादिक जे मब, बुध महाचन्द विलाय जाय तात कीज्यो अब ॥३०॥
इनि सामायिक पाठ समाप्त
भक्तामर स्तोत्र भाषा। आदिपुरुष आदीश जिन,आदि सुविधिकरतार। धरमधुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार ॥१॥
___ चौपाई। सुरनतमुकुट रतन छवि करें, अन्तर पापतिमिर सब हरें । जिनपद बंदों मनवचकाय, भवजलपतित-उधरनसहाय ॥ १ ॥ श्रु तपारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव । शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभुकी वरनों गुनमाल ॥२॥