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श्री जैन
पूजा-पाठ संग्रह |
संवत जिन चौबीस सौ है वासठकी साल ।
एकादश कार्तिक
पूजा रची
सम्हाल ॥२॥
ی :
इत्याशीर्वादः ।
महावीर स्वामी का भजन |
चाक - रसिया 1
चांदनपुर के महावीर हमारी पीर हरी || टेर | जयपुर राज्य गांव चांदनपुर, तहां बनी उन्नत जिन मंदिर | तट नदी गम्भीर हमारी पीर हरी ॥ चांदनपुर के महावीर हमारी पीर हगे || १ | पूर्व बात चली यों आवे, एक गाय चरने की जावे । भर जाय उसका क्षीर, हमारी पीर हगे । चांदनपुर के महावीर हमारी पीर हंगे ॥ २ ॥ एक दिवस मालिक संग आयो, देख गाय टीलो खुदवायो । खोदत भयो अधीर, हमारी पीर हगे || चांदनपुर के महावीर हमारी पार हगे ॥ ३ ॥ रेन मांहि तब मुपनो दीनों, धीरे धीरे खोद जमीनो । है इसमें तस्वीर, हमारी पीर हरो || चांदनपुर के महावीर हमारी पीर हरौ ॥ ४ ॥ प्रात होत फिर भूमि खुदाई, वीर जिनेश्वर प्रतिमा पाई ।