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________________ २७६ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। चांदनपुरके महावीर तोरी छवि प्यारी । प्रभु भव आताप निवार तुम पद बलिहारी ।। ओं ह्रीं श्री महावीर जिनंद्राय मंगसिर वदी दशमी तपमंगल प्राप्ताय अर्थ । बमाख सुदी दशमांहि घाती क्षय करना। पार्यो तुम केवल ज्ञान इन्द्रनिकी रचना ॥ चांदनपुरके महावीर तोरी छवि प्यारी । प्रभु भव पानाप निवार तुम पद बलिहारी ।। ओं ह्रीं श्री महावीर जिनेंद्राय वसाग्व मुदी दशमी कंवलज्ञान प्राप्ताय अर्घ । कार्तिक जु अमावस कृष्ण पावापुर ठाहीं । भयो तीनलोकमें हपं पहुंचे शिव माहीं।। चांदनपुरके महावीर तोरी छवि प्यारी । प्रभु भव आताप निधार तुम पद बलिहारी ।। ओं ह्रीं श्री महावीर जिनेंद्राय कार्तिक वदी अमावम मोक्षमंगल प्राप्ताय अर्घ । जयमाला. दाहा। मंगलमय तुम हो मदा श्रीमन्मति सुग्वदाय । चांदनपुर महावीरकी कई आरती गाय ।। पद्धट्टी छन्द । जय जय चांदनपुर महावीर, तुम भक्तजनों की हरत पीर । जड़ चेतन जगके लखत आप, दई द्वादशांग वानी अलाप ॥१॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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