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श्री जैन पूजा-पाट मंग्रह ।
जहां चतुर निकाई देव आवें जिन शामन ।। नित पूजन करत तुम्हार कर ले झारी । हम हूं वसु द्रव्य बनाय पूजें भरि थारी ।। चांदनपुरके महावीर नोग छवि प्यारी । प्रभु भव आताप निवार तुम पद बलिहारी ।।
ओं ह्रीं श्री चांदनपुर महावीर जिनंद्राय टील के अंदर विगजमान ममयका अघ ।
पंचकल्यागाक कंडलपुर नगर मंझार त्रिशला उर पायो । सुदि छटि अमाढ़ मुर आई रतन जु बग्मायो । चांदनपुरके महावार तारी छवि प्यारी । प्रभु भव याताप निवार तुम पद बलिहारी ।। ओं ह्रीं श्री महावीर जिनंद्राय अपाद मदि छाट गर्भ मंगल प्राप्ताय अर्घ । जनमत अनहद भई घोर याये चतुर निकाई । नेग्म शुक्लाकी चैत्र मुर गिरि ले जाई ।। चांदनपुरके महावीर तांग बवि प्यारी। प्रभु भव आताप निवार तुम पद बलिहारी ॥ श्रां ह्रीं श्री महावार जिनंद्राय चन मुदि नरम जन्म मंगल प्राप्राय अघ। कृष्णा मंगमिर दश जान लोकांतिक पाये। करि केश लाँच तनकाल झट वनको धाये ।।