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श्री जैन पूजा-पाठ सग्रह ।
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परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी । जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी || १ ||
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ह्रीं वर्तमानावसर्पिणा समये प्रथम मुक्ति स्थान प्राप्ताय कमारि विजयी वीराविवार वीराणां श्री बाहुबलि परम योगीन्द्राय जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं ॥ १ ॥
यह संसार मरुस्थल अटवी तृष्णा दाह भगं है, तिहि दुख वारन चंदन लेकें जिन पद पूज करी है । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||२|| || चंदनं० ॥
स्वक्ष मालि शुचि नीरज रजमम गंध अखंड प्रचारी, अक्षय पढ़के पावन कारन पूजे भवि जगतारी | पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी,
परम
जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||३|| ॥ अक्षतं ।
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after चक्रपति र दानव मानव पशु बम यार्क, तिहि मकरध्वज नामक जिनकों पूजों पुष्प चढ़ाक ।
परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि चलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||४|| || पुष्पं० ।।