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________________ श्री जैन पूजा-पाठ सग्रह । । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी । जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी || १ || २६७ ह्रीं वर्तमानावसर्पिणा समये प्रथम मुक्ति स्थान प्राप्ताय कमारि विजयी वीराविवार वीराणां श्री बाहुबलि परम योगीन्द्राय जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं ॥ १ ॥ यह संसार मरुस्थल अटवी तृष्णा दाह भगं है, तिहि दुख वारन चंदन लेकें जिन पद पूज करी है । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||२|| || चंदनं० ॥ स्वक्ष मालि शुचि नीरज रजमम गंध अखंड प्रचारी, अक्षय पढ़के पावन कारन पूजे भवि जगतारी | पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी, परम जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||३|| ॥ अक्षतं । こ after चक्रपति र दानव मानव पशु बम यार्क, तिहि मकरध्वज नामक जिनकों पूजों पुष्प चढ़ाक । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि चलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ||४|| || पुष्पं० ।।
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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