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________________ ०६८ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। दुखद त्रिजग सीवनको अति ही दोष क्षुधा अनिवारी, तिहि दुख दूर करनको चरु वर ले जिन पूज प्रचारी । परम पूज्य बीगधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमागे ।।५।। ॥नवेद्यं०॥ माह महातम में जग जीवन सिव मग नाहि लखावे, निहि निग्वारन दीपक करले जिनपद पूजन आवै । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि बलधारी । जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी ।।६।। ॥ दीपं० ॥ उत्तम धूप सुगंध बनाकर दश दिशमें महकार्य, दश विधि बंध निवाग्न कारण जिनवर पूज रचावे । परम पूज्य वीराधिवीर जिन बाहुबलि चलधारी, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमारी॥७॥ ॥धृपं० ॥ मग्म सुवरण सुगंध अनूपम स्वक्ष महासुचि लाव, शिव फल कारण जिनवर पदकी फलमों पूज ग्चा । परम पूज्य वीराधिवीर जिन वाहुबलि बलधार्ग, जिनके चरण कमलको नित प्रति धोक त्रिकाल हमाग ।।८।। ।। फलं० ।। उत्तर
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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