________________
श्री जन पूजा-पाठ संग्रह।
मन बच काय त्रियोग सम्हार, जे गावत पावत भव पार ॥ २८ ॥ ___ आ ह्रीं श्री पंच बाल यति ताथकर जिनंद्रायनमः पूणार्य ।।
दाहा। ब्रह्मचर्य सों नेह धरि, रचियो पूजन ठाठ । पांचों वाल यतीनको, कीजे नित प्रतिपाथ ॥
इन्याशावादः।
बाहुबाल स्वामी की पूजा। कर्म अरिंगण जीतिके, दरशायो शिव पंथ । प्रथम सिद्ध पद जिन लयो भोग भूमिके अंत॥१ समर दृष्टि जल जीत लहि. मल्लयुद्ध जय पाय । वीर अग्रणी बाहुबलि, वंदों मन वच काय ॥२॥ प्रां ह्रीं श्रामन गोमटेश्वर अत्र अवतर अवतर मंवोपट । अत्र निष्ठ तिष्ठ ठः ठः । अत्र मम मन्निहिता भव भव वपट ।
अथ अष्टकं चाल जागागमा। जन्म जग मग्नादि तृषा कर. जगत जीव दुग्न पाव । तिहि दुख दूर करन जिनपद को पूजन जल ले आवै ।।