________________
श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। २६५ भये बीतराग जगमें प्रसिद्ध ॥ २४ ॥ है बाल यती तुम सवन एम, अचिरज शिव कांता बरी केम । तुम परम शांति मुद्रा सुधार, किम अष्ट कर्म रिपु को प्रहार ॥ २५ ॥ हम करत बीनती वार वार, कर जोर स्व मस्तक धार धार । तुम भये भवोदधि पार पार, मोको सुवेग ही तार तार ॥ २६ ॥ अरदास दास ये पूर पूर, वसु कर्म शैल चक चूर चूर । दुख सहन राम अव शकि नाहि, गही चरण शरण कीजे निवाह ॥ २७ ॥
चौपाई। पांचों बाल यति तीर्थश, तिनकी यह जयमाल विशेष ।