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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
बहु द्रव्य सुगंधित सर सम्भार, तामें श्री जिनवर वपु पधार ॥२०॥ निज अगनि कुमारिन मुकुट नाय, तिहं रतनन शुचि ज्वाला उठाय । तिस सर माहीं दीनी लगाय, सो भस्म सबन मस्तक चड़ाय ॥ २१ ॥ अति हर्ष थकी रचि दीप माल, शुभ रतन मई दश दिश उजाल । पुनि गीत नृत्य बाजे बजाय, गुण गाय ध्याय सुरपति सिधाय ॥ २२ ॥ सो थान अब जगमें प्रत्यक्ष, नित होत दीप माला सुलन । हे जिन तुम गुण महिमा अपार, बसु सम्यक् ज्ञानादिक सु सार ॥ २३ ॥ तुम ज्ञान माहिं तिहुँ लोक दर्व, प्रति बिम्बित हैं चर अचर सर्व । लहि आतम अनुभव परम ऋद्धि,