________________
श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह । अरि च्यारि घातिया कर सुघात । उपजायो केवल ज्ञान भानु, आयो कुवेर हरि बच प्रमाण ॥ १६ ॥ की समोशरण रचना विचित्र, तहां खिरत भई बाणी पवित्र । मुनि सुर नर खग तिर्यंच आय. सुनि निज निज भाषा बोध पाय ॥ १७ ॥ जय वर्द्धमान अन्तिम जिनेश, पायो न अंत तुम गुण गणेश । तुम च्यारि अघाती करम हान. लियो मोन स्वयं मुग्व अचलथान ॥ १८ ॥ तब ही सुरपति चल अवधि जान, सब देवन युत बहु हर्ष ठान । सजि निज वाहन आयो सुतार, जहं परमौदारिक तुम शरीर ॥ १६ ॥ निर्वाण महोत्सव किया भूर, ले मलयागिर चंदन कपूर ।