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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। २६१ बन पांडुक शिल ऊपर सुथाप ॥ ७ ॥ क्षीरोदधि नैं बहु देव जाय. भरि जल घट हाथों हाथ लाय । करि न्हवन वस्त्र भूषण सजाय. दे मात नृत्य तांडव कगय ॥ ८ ॥ पुनि हर्ष धार हृदय अपार, सब निर्जर नव जय जय उचार । तिस अवसर आनंद हे जिनेश, हम कहिवे समरथ नहिं लेश ॥ ६ ॥ जय जादोपति श्री नेमनाथ, हम नमत सदा जग जारि हाथ । तुम ब्याह समय पशुवन पुकार, सुनि तुरत छुड़ाय दया धार ॥ १० ।। कर कंकण अरु सिर मौर बंद, सो तोड़ भये छिन में स्वच्छन्द । तब ही लोकान्तिक देव आय, वैराग्य वर्द्ध नी थुति कराय ॥ ११ ॥