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श्री जैन पुजा-पाठ मंग्रह।
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श्री वासु पूज्य मलि नेम, पारम वीर अति, नमं मन वच तन धरि प्रम पाचों बालयति ।। फलं ।। सजि वसुविधि द्रव्य मनोज्ञ, अग्घ बनावत हैं, वसुकम अनादि संयोग. ताहि नमावन हैं। श्री वासु पूज्य मलि नेम. पारम वीर अति. नमं मन वच तन धरि प्रेम पांचों बालयति ॥ अर्थ ।।
जयमाला।
दोहा। बालब्रह्मचारी भये. पांचों श्री जिनराज । निनकी अब जयमालिका. कहं स्वपर हितकाज॥
पडि छन्द । जय जय जय जय श्री वासु पूज्य. तुम सम जग में नहीं और दूज । तुम महा लन सुर लाक छार. जव गर्भ मात माहीं पधार ॥२॥ षोड़श स्वपने देख सुमात, बल अवधि जान तुम जन्म तात । अति हर्ष धार दंपति सुदान,