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श्री जैन पूजा-पाठ मंग्रह। २५७ पंच बालयति तीर्थकर पूजा।
दाहा।
श्रीजिन पंच अनंग जित, वासु पूज्य मलि नेमि। पारसनाथ सुवीर अति, पूजं चिन धरि प्रेम ॥१॥ ___ओं ह्रीं पंच बालयनि नार्थकग अत्रावत्रावतर संवौषट आह्वाननं । अत्र तिष्ठ निष्ठ ठः ठः स्थापनं । अत्र मम सन्निहितो भव भव वपट मन्निधिकरणं. पुष्पांजलि क्षिपेत !
__ अथाष्टक। शुचि शीतल सुरभि सुनीर लाया भर मार्ग, दुख जामन मग्न गहीर, याको परिहारी। श्री वासु पूज्य मलि नम, पाग्य वीर अति, नमं मन वच तन धरि प्रेम पांचों बान्नयति ।।
ओं ह्रीं श्री वासु पृ.यजी. मल्लिनाथजा. नमनाथजी. पारमनाथजी. महावीर म्वामीजी. श्री पंच बालयती नीर्थकर भ्यो नमः जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामानि म्वाहा ।
चन्दन केशर करपूर, जल में घमि पानी, भव तप भंजन सुखपूर, तुमको में जाना । श्री वासु पूज्य मलि नेम, पारम वीर अति, नमं मन वच तन धरि प्रेम पांचों बालयति ।। चंदनं ।। वर अक्षत विमल बनाय, सुवरण थाल भरे, वहु देश देशके लाय, तुमग भेट धरे ।