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श्री जैन पूजा-पाठ मंग्रह।
घत्ता। जय आदि सु ब्रह्मा, त्रिभुवन ब्रह्मा, ब्रह्माम्बात्म म्वरूप पर । जय बोध सु ब्रह्मा, पंच सु ब्रह्मा, ब्रह्म सुमति जलधि निकर । ओं ह्रीं श्रीआदि परमदेवाय जयमाला नि,
शादृल विक्रीडिन । देवोऽनेक भवार्जितो गत महा पापः प्रदीपानलः । देवः मिद्धवध विशाल हृदयालंकार हागेपम ।। देवोष्टादश दोष सिंधुर घटा दुर्भद पंचाननी । भव्यानांविदधातु वांछित फलं श्री आदिनाथो जिनः ।।
श्लोक । लक्ष्मीचंद्रगुरु तो मूलसंघ विदाग्रणी । पट्टाभयचंद्रो देवो दयानंदि विदांवरः ॥ रत्नकीर्ति कुमुदेंदु सुमतिः सागरोदितः । भक्कामर महास्तोत्र पूजा चक्री गुणाधिका ॥ इति श्री मानतुङ्गाचार्य विरचिन भक्तामर नात्र पृजा ममाता !