SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। सकल रितुज फलफूल, वनस्पति मनहरै । दरपनसम मनि अवनि, पवन गति अनुसरै ॥ अनुसर परमानंद सबको, नारि नर जे सेवता। जोजन प्रमान धरा सुमार्जहिं. जहां मारुत देवता ।। पुनि करहिं मंघकुमार गंधोदक सुवृष्टि सुहावनी । पदकमलतर सुर खिपहिं कमलसु धरणि ससिसोभा बनी ॥१६॥ अमलगगनतल अरु दिसि, तहँ अनुहारहीं। चतुरनिकाय देवगण, जय जयकारहीं ॥ धर्मचक्र चलै आगें, रवि जहँ लाजहीं। पुनि भृगार-प्रमुख, वसु मंगल राजहीं ॥ राजहीं चौदह चार अतिशय. देव चित मुहावने । जिनराज केवलज्ञान महिमा. अवर कहत कहा बने ।। तब इन्द्र आय किया महाच्छव. सभा माभा अति बनी । धर्मोपदेश दिया नहीं. उच्चरिय वानी जिनननी ॥२०॥ छुधातृषा अरु राग, रोष असुहावने । जनम जरा अरु मरण, त्रिदोष भयावने ॥ रोग सोग भय विस्मय, अरु निद्रा घनी। खेद स्वेद मद मोह, अरति चिंता गनी ॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy