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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। २३५ टोंक टोंक पर ध्वजा विराजे झालर घंटा बाजे, झालरके झनकार सेती अनहद बाजा बाजे । शिखर पर भले विगजें जी, हुकम हुआ सांवलियाजीका
बांह पकड़ मंगवाया ॥२॥ तीनों नाले तेरह चौकी मन वांछित फल पाया, मन चित सेती पूजा कोनी सफल मनोरथ भाया । शिखर पर भले विराजें जी, हुकम हुआ सांवलियाजीका
बांह पकड़ मंगवाया ।।३।। कोई मांगे नाती पोता कोई मांगे दान, जातरी मांग प्रभुके दरशन महा परमाद । शिखर पर भले विराजे जी, हुकम हुया मांवलियाजाका
बांह पकड़ मंगवाया ।।४।। नग्नाग सब बंदन अाया, महा सुक्य फल पाया । ग्घुशाल चंदने चरण कमलका हरप हरप गुण गाया, शिखर पर भले विगजें जी, हुकम हा मांवलियाजीका
बांह पकड़ मंगवाया ।।५।।