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________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। श्री भक्तामर स्तोत्र पूजा ओं जय, जय, जय। नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु। __अनुष्टुप। परमज्ञान वाणासि, घातिकर्म प्रघातिनं । महा धर्म प्रकर्तारं, वंदेहमादि नायकं ॥१॥ भकामर महास्तोत्रं, मंत्रपूजां करोम्यहं । सर्वजीव हितागारं, आदिदेवं महाम्यहं ॥२॥ ओ ह्रीं श्री आदिदेव अत्रावतरावतर संवौषट् बालाननं । ओं ह्रीं श्री आदिदव अत्र निष्ठ तिष्ट ठः ठः स्थापनं । ओं ह्रीं श्री आदिदव अत्र मम मनिहिता भव भव वपट सन्निधिकरणं । अथाष्टकं । सुरसुरीनदसंभृत जीवनैः, सकल ताप हरैः सुख कारणैः । वृषभनाथ वृषांक समन्वितं. शिवकरं प्रयजे हत किल्विषं ॥ १ ॥ श्रां ह्रीं श्री वृपभनाथ जिनंद्राय जल । मलय चंदन मिश्रित कुंकुमः. सुरभितागत षट् पद नंदनः ।
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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