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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। बारा से तिहत्तर कोड़ि लाख ग्याग में चैयालीस, और सातसे चौंतीस महम बखानिये । सैंकड़ा है सात में सत्तर एते हुए सिद्ध तिनक, सु नित्य पूज पाप कम हानिये ।। १ ।।
दोहा। बीस टोंकके दरश फल, प्रोषध संख्या जान । एकसौ तेहत्तर मुनी, गुण सठ लाग्व महान ॥
वत्ता छंद। ए वीस जिनश्वर नमत सुरेसुर मघवा पूजन कं आवें । नग्नागे ध्यावं मत्र सुग्व पाव गमचंद्र नित सिर नावे ।।
इनि परिपुष्पांजलि ।
मम्मद शिखरजी का भजन मांवलिया पारमनाथ शिखर पर भले विगजें जी, हुकम हुआ सांवलियाजीका बांह पकड़ मंगवाया । शिखर पर भले विगजें जी, हुकम हुआ सांवलियाजीका
बांह पकड़ मंगवाया ॥ टेर ।।। देश देशका जातरी पाया पूजा भाव रचाया,
आठ दग्य ले पूजन कीनी मन बांछित फल पाया । शिखर पर भले विगंज जी, हुकम हुआ सांवलियाजाका
बांह पकड़ मंगवाया ।। १ ।।