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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
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जय शीतल जय भवकी आताप, जय अनंत नर्म नस जात पाप । जय संभव भव की हरो पीर, जय अभय करो अभिनंद वीर ६ || पूर्व दिस द्वादस कंट जान, पूजन होवत है असुभ हान | फिर मृत मंदिर के करू प्रनाम, पाव शिव रमनी वेग धाम ७ ||
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घत्ता छन्द |
श्री सिद्ध सु क्षेत्र अति सुख देतं तुरतं भव दधि पार करें | अरिकर्म विनासन शिव सुख कारन जय गिरवर जगता तारं ८ ||
चाल छप्पय ।
प्रथम कुंथ जिन धर्म सुमति अरुशांति जिनंदा, विमल सुपारमति पार्श्व मेटे भवदा । श्री नमि रह जुमलि श्रेयांस सुविधि निधि कंदा । पद्म प्रभु महाराज और मुनि सुवृत चन्द्रा | शीतलनाथ अनंत जिन सम्भव जिन अभिनंदनजी | बीस टोंक पर बीस जिनेश्वर भाव सहित नित वंदनजी || १ || ह्रीं श्री सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र परवन सती बीस तीर्थकर्गादि असंख्यात मुनि मुक्ति पवार तिनके चरण कमल की पूजा अर्धम
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चाल कविन । शिखर सम्मेद जी के बीम टोंक सब जान, तामी मोक्ष गये ताकी संख्या सव जानिये |
उदा कोड़ा कोड़ि पेंट ता ऊपर जोड़ि दियालीस व ताको ध्यान हिये यानिये ||