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________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह ૨૩૨ जय शीतल जय भवकी आताप, जय अनंत नर्म नस जात पाप । जय संभव भव की हरो पीर, जय अभय करो अभिनंद वीर ६ || पूर्व दिस द्वादस कंट जान, पूजन होवत है असुभ हान | फिर मृत मंदिर के करू प्रनाम, पाव शिव रमनी वेग धाम ७ || . घत्ता छन्द | श्री सिद्ध सु क्षेत्र अति सुख देतं तुरतं भव दधि पार करें | अरिकर्म विनासन शिव सुख कारन जय गिरवर जगता तारं ८ || चाल छप्पय । प्रथम कुंथ जिन धर्म सुमति अरुशांति जिनंदा, विमल सुपारमति पार्श्व मेटे भवदा । श्री नमि रह जुमलि श्रेयांस सुविधि निधि कंदा । पद्म प्रभु महाराज और मुनि सुवृत चन्द्रा | शीतलनाथ अनंत जिन सम्भव जिन अभिनंदनजी | बीस टोंक पर बीस जिनेश्वर भाव सहित नित वंदनजी || १ || ह्रीं श्री सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र परवन सती बीस तीर्थकर्गादि असंख्यात मुनि मुक्ति पवार तिनके चरण कमल की पूजा अर्धम " चाल कविन । शिखर सम्मेद जी के बीम टोंक सब जान, तामी मोक्ष गये ताकी संख्या सव जानिये | उदा कोड़ा कोड़ि पेंट ता ऊपर जोड़ि दियालीस व ताको ध्यान हिये यानिये ||
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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