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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
दाहा।
कृत्याकृत्यम जे कहे तीन लोकके मांहि । ते सब पूजू अर्घ ले हाथ जोर सिरनाय ॥ ओ ह्रीं श्री उध्वलोक मध्यलोक पाताल लोक सम्बन्धी जिन मंदिर जिन चैत्यालया नमः अघम०
दोहा। तीरथ परम सुहावन शिखर सम्मेद विसाल । कहत अल्प बुधि युक्रि से सुखदाई जयमाल ।
अथ जयमाला।
छद पद्धड़ी।
जय प्रथम नम जिन कुंथदेव, जय धर्म तनी नित करत सेव । जय सुमति सुमति सुध बुद्ध देन, जय शांति नमं नित शांति हेत जय विमल नम आनन्द कन्द, जय सुपामे नम हनि पास फंद। जय ऋजित गये शिव हानि कम, जय पामे करी जुग उग्र सम २।। पश्चिम दिस जानं टोंक एव, बंदे चहुंगतिको होय छेव । नर सुर पदकी तो कोन बात. पूजे अनुक्रमत मुक्ति जात ।।३।। जय नेमि तनं नित धरू ध्यान, जय अरिहर लीनों मुक्ति थान। जय मल्लि मदन जय शील धार, जय हंस गय भव पार पार ॥४॥ जय सुमति सुमति दाता महेश, जय पद्म नमंतम हर दिनेश । जय मुनि सुवृत गुण गण गरिष्ट, जय चन्द्र कर आताप नष्ट ५