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________________ दोहा। २२८ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। हजार नौ सौ पांच मुनि मुक्ति पधारे तिनके चरन कमल की पूजा अर्घम० चैतकृष्ण पूनम दिवस निज आतमको चीन । मुनि स्थानक जायके हुए अष्ट गुण लीन ॥ या ह्रीं श्री मम्मद शिग्बर मिद्धक्षेत्र परवत सती स्वयंभू कूटके दर्शन फल एक कोड़ उपवास और श्री अनन्तनाथ तीर्थङ्करादि छानवे कोड़ा कोड़ सत्तर कोड़ सत्तर लाग्य सत्तर हजार सात मैं मुनि मुक्ति पधार तिनकं चग्न कमल की पूजा अर्घम. सारठा। शेष कर्म निरवान चैत शुकल षष्टम विर्षे । जजों गुणोघ उचार मोन वरांगन पति भये ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिखर मिद्धतंत्र परवत सेनी धवल कूटके दशन फल बयालीस लाख उपवास और श्री सम्भवनाथ तीर्थङ्कगदि नौ कोड़ा कोड बहत्तर लाग्य वयालीस हजार पांच मौ मुनि मुक्ति पधार निनके चरन कमल की पूजा अर्यम्। दाहा। अष्टम सित वैशाख की गए मोन हनि कर्म । जजू चरन उर भक्ति कर देहु देहु निज धर्म ॥ ओं ह्रीं श्री सम्मेद शिग्वर सिद्धनत्र परवत सनी अानन्द कूटके दर्शन फन एक लाख उपवाम और श्री अभिनन्दन नीथङ्कगदि बहत्तर कोड़ा कोड़ि सत्तर कोड़ मत्तर लाख बयालीस हजार सात से मुनि मुक्ति पधार तिनके चरन कमलकी पूजा अर्घम्,
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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